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माता-पिता खोने के बाद दादी मां के कंधों पर पांचों मासूमों की जिम्मेदारी….

एक रात में 5 मासूमों के सिर से उठा माता-पिता का साया, मदद की दरकरार

भीण्डर उपखण्ड क्षेत्र के कुंथवास पंचायत के धकड़ावला गांव का मामला

Bhinder@VatanjayMedia

कभी हंसी-खुशी से गूंजता घर अब सन्नाटे से भर गया है। धकड़ावला गांव में एक ही रात में नियति ने ऐसा क्रूर वार किया कि पांच मासूमों के सिर से माता-पिता का साया उठ गया। मां की ममता और पिता का स्नेह खो चुके इन बच्चों का सहारा अब उनकी बुजुर्ग दादी मां के कांपते कंधे हैं। सबसे बड़ी बेटी महज 13 साल की है और सबसे छोटा बेटा अभी डेढ़ साल का। मासूम आंखों में भविष्य को लेकर सवाल हैं और जवाब समाज व सरकार से उम्मीद कर रहे हैं।

 

पत्नी की मौत का सदमा पति नहीं कर पाया सहन

उदयपुर जिले के भीण्डर उपखण्ड क्षेत्र की कुंथवास पंचायत के धकड़ावला गांव निवासी महेन्द्र सिंह राजपुत पिता दलपत सिंह (35) व उनकी पत्नी मेहताब कुंवर (32) की एक रात में असमय निधन होने से 5 बच्चें अनाथ हो गये। 19 अगस्त की रात को मेहताब कुंवर की तबीयत खराब हुई और मौत हो गई, पत्नी की मौत का सदमा पति सहन नहीं कर पाया महज कुछ घंटों बाद ही महेन्द्र सिंह की भी मौत हो गई। 20 अगस्त सुबह पति-पत्नी का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया। महेन्द्र सिंह के 5 बच्चें है। जिसमें शुभम कुंवर (13), पूनम कुंवर (8), सूर्यप्रतापसिंह (8), रविन्द्र सिंह (3) एवं हिमांशुसिंह (1.5) है।

बुढ़ें कंधों पर बच्चों की जिम्मेदारी

इनकी परवरिश अब दादी चंद्रकुंवर (65) के कांपते कंधों पर है। परिवार के पास न तो पर्याप्त जमीन है, न ही आय का कोई स्थायी साधन। काका-काकी हैं लेकिन आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं कि वे पांचों बच्चों का भविष्य संवार सकें। पांचों मासूमों के सिर से साया उठने के बाद भविष्य संवारने के लिए सरकार व स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी बन गई है। सरकार के जनप्रतिनिधि व प्रशासन के अधिकारी सरकारी मदद के लिए तंुंरत ही कदम उठा देंते तो बच्चों की शिक्षा जारी रह जायेगी और बुढ़ी दादी को भी मदद मिलने से बच्चों का पालन आराम से कर पायेगी।

सरकारी योजनाओं व भामाशाहों से करवायेंगे मदद – उपखण्ड अधिकारी

इस प्रकार की दुखद घटना में प्रशासन मासूमों के साथ है। सरकारी योजनाओं के तहत मासूमों के लिए पालनहार योजना, खाद्यान्न सुरक्षा योजना एवं प्रधानमंत्री आवास योजना से मदद पहुंचाने का प्रयास किया जायेगा। इसके अलावा भामाशाहों से भी अपील करके तुंरत जैसी भी सहायता हो सकेंगी करने का प्रयास किया जायेगा।
-रमेश बहेड़िया, उपखण्ड अधिकारी भीण्डर

सोशल मीडिया से बढ़ रहे हैं मदद को हाथ

इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होने के बाद कई सामाजिक संगठन, आमजन मदद के लिए हाथ बढ़ा रहे है। वहीं स्थानीय स्तर पर लोग मदद के लिए गांव में पहुंच रहे है। हम भी आपसे अपील करते हैं कि मासूम बच्चों के भविष्य को संभालने के लिए आप से बन सकें जो सहायता जरूर करें। बच्चोें को सहायता पहुंचाने के लिए नीचे दिये गये क्यूआर कोड को मदद का फंड एकत्रित करने के लिए बैंक खाते का उपयोग किया जा रहा है। सरकारी दस्तावेज पूर्ण होने के बाद कुछ दिनों बाद बच्चों के नाम एक बैंक खाता खोलकर उसमें ये राशि जमा करवा दी जायेगी।

क्यूआर कोड

 

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