Bhinder@VatanjayMedia
भीण्डर के गोवर्धन वाटिका में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु पहुंच रहे है। कथा के चतुर्थ दिवस में कृष्ण किंकर महाराज ने बताया कि सब जग ईश्वर रूप है, भलो बुरो नहीं कोई झांकी जैसी भावना वेसो ही फल होय।
प्रभु कृपा से माता-पिता के माध्यम से जन्म मिला लेकिन इनको भी जिन प्रभु ने बनाया। उन जगत के माता पिता की आराधना से सारे कार्य आसानी से हो जाते है। प्रभु को ही सब कुछ अर्पित करने के बाद शेष कुछ नहीं बचता इसलिए सारा उसी को अर्पित करें।
यहीं भाव मन में रखना है। मन में यही भाव रहे कि परमात्मा ने दिया है और परमात्मा का ही सब कुछ है। जो मिल रहा है उसे भी प्रसन्न मन से स्वीकार करना। इस संसार में सभी रिश्ते स्वार्थ से भरे हैं रिश्ता रखना ठाकुर से रखना है जो जन्म जन्मांतर के बंधन से मुक्त कराकर अपने धाम में स्थान दें देगा।
किसी के अधिकारों का हनन करके उन पर स्थापित होने से बड़ा पाप जीवन में कुछ भी नहीं हो सकता। इसलिए जो अपना है अपना रखें और दूसरों का है दूसरों का समझें यही भाव रहे।
आज कथा में नरसिंह प्राकट्य, श्री राम जन्म एवं श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। कथा में भीण्डर के अलावा कानोड़, हमेरपुरा, मजवाड़ा, बांसड़ा से सैकड़ों भक्तों का आगमन हुआ।
विजावत परिवार की विजया बाई ने भक्ति भाव से माताओं का सम्मान किया। नारायण दास महाराज सारंगपूरा का बद्री लाल, पवन कुमार, नितिन चौबीसा ने स्वागत किया।
ADVT
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