महाराज अजमीढ़ के उपकारों का ऋणी है स्वर्णकार समाज – अनिल स्वर्णकार
Bhinder@VatanjayMedia
मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार समाज के आराध्य देव महाराजा अजमीढ़ जयंती के अवसर पर स्वर्णकार समाज ने शोभायात्रा निकाली। शोभायात्रा स्वर्णकार समाज भवन पदमपुरा से प्रारंभ होकर रावली पोल, सदर बाजार, मोचीवाड़ा, हींता गेट सूरजपोल होते हुए पुनः समाज भवन पहुंची। जहां अजमीढ़ जयंती समारोह हुआ।
शोभायात्रा में आगे चार घुड़सवार श्वेत वस्त्र में पुरुष एवं लाल चुनरी में महिलाएं चल रही थी। अजमीढ़ जी की सुसज्जित तस्वीर विराजमान थी। मार्ग में समाजजनों ने अजमीढ़ जी की आरती और पुष्पवृष्टि कर शोभायात्रा का स्वागत किया।
स्वर्णकार समाज भवन में कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ। स्वागत गीत से टीना सोनी ने अतिथियों का स्वागत किया। समारोह में प्रमुख वक्ता अनिल स्वर्णकार ने कहा कि महाराजा अजमीढ़ हस्तिनापुर के राजा हस्ती के पौत्र और भगवान श्रीराम के समकालीन चंद्रवश की 28 वीं पीढ़ी के शासक थे। जिन्होंने अजमेर नगर के पास मैढावृत क्षेत्र की स्थापना की।
महाराजा अजमीढ़ ने स्वर्णकार समाज को स्वर्ण, रजत आभूषण कला सीखा कर आजीविका का मार्ग प्रशस्त किया। मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार पहचान दी। उनके उपकार सदैव अविस्मरणीय है। साथ ही महाराजा अजमीढ के जीवन वृत्त, स्वर्णकार समाज के उद्भव, उत्पत्ति और शरद पूर्णिमा पर्व के महत्व की जानकारी दी।
कार्यक्रम समापन पर महाराजा अजमीढ की आरती और सामूहिक भोजन हुआ। इस अवसर पर समारोह में नरेश चंद्र सूरजनवाल और समाज अध्यक्ष गजेंद्र मलेंडीया, जगदीश उदावत, गिरिराज सोनी, शिवनारायण सोनी सहित भींडर कुंथवास अमरपुरा कानोड़ के स्वर्णकार समाजजन उपस्थित थे। इस अवसर पर सांस्कृतिक प्रस्तुति देने वाले 15 प्रतिभाओं का पारितोषिक देकर सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन अनिल स्वर्णकार ने किया।
ADVT
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.