पूर्व विधायक रणधीर सिंह भीण्डर ने पैमाइश की गलती से परेशान किसानों का उठाया मुद्दा
Bhinder@VatanjayMedia
वल्लभनगर पूर्व विधायक रणधीर सिंह भीण्डर ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर वल्लभनगर विधानसभा में किसानों की गलत पैमाइश की वजह से आ रही परेशानी से अवगत करवाया। इस मामले में भीण्डर ने मुख्यमंत्री को भीण्डर उपखण्ड कार्यालय से किसानों द्वारा जमा हुई फाइलें गायब होने का भी हवाला दिया है।
पूर्व विधायक भीण्डर ने पत्र में बताया कि वल्लभनगर विधानसभा में पिछली बार सेटलमेंट विभाग द्वारा जो पेमाईश की गई थी उसमें भयंकर गलतियां थी जिसका खामियाजा आज तक खाताधारकों को भरना पड़ रहा है।
उपरोक्त पेमाईश में बहुत से खातों की जमीनों की जगह बदल दी गई, जिनकी जमीन रोड़ पर थी उनको पीछे दर्शा दिया। जिनके 10 बीघा जमीन थी उनकी 5 बीघा जमीन कर दी गई एवं जिनके कम जमीन थी उनकी ज्यादा जमीन दिखा दी गई।
ऐसे हजारों प्रकरण हैं जिनमें इस प्रकार की त्रुटियां है। दो वर्ष पूर्व इस समस्या से तत्कालीन राजस्व सचिव आनन्द कुमार से मिलकर अवगत करवाया तो उन्होने यह माना कि यह हमारे विभाग की गलती है जिसे राजस्व विभाग ही सही करेगा।
इस पर तत्कालीन जिलाधीश ताराचन्द मीणा को फोन कर उपरोक्त त्रुटियों पर कार्यवाही करने का निर्देश दिया। जिलाधीश ने वल्लभनगर एवं भीण्डर उप जिलाधीश कार्यालयों पर कैम्प लगाकर ऐसी त्रुटियों को सुधारने का निर्देश दिया।
उपरोक्त दोनों ही उप जिलाधीश कार्यालयों में पडने वाली पंचायतों में कैम्प लगाने के निर्देश दिये जिस पर कैम्प लगाये गये एवं जहां-जहां त्रुटियां थी उन किसानो की फाईलें जमा की गई परन्तु 2 वर्ष बीत चुके हैं ना तो उन फाईलों पर कोई कार्यवाही हुई एवं ना ही कोई सुधार हुआ है।
भीण्डर उपखण्ड कार्यालय से गायब हुई फाइलें
इसी मामले को लेकर सूचना के अधिकार में सूचना मांगी गई तो उप जिलाधीश कार्यालय भीण्डर द्वारा जवाब दिया गया कि इस प्रकार की कोई फाईल कार्यालय में नहीं है जबकि विधानसभा के प्रश्न के जवाब में बताया गया कि 65 फाईलें लम्बित है क्या विभाग से इस प्रकार फाईलें गायब होना संभव है?
कई किसानों ने परेशान होकर राजस्व अधिनियम की धारा 136 के अन्तर्गत केस भी दाखिल किये परन्तु उन पर भी अभी तक कोई फैसला नहीं दिया गया। गलती विभाग की परन्तु परेशानी किसानों की है जो न्याय के लिये दर-दर भटक रहे है।इसलिए क्षेत्र की पुनः पैमाईश कराई जावे जिससे किसानों को राहत मिल सके, अन्यथा मजबूरन किसानों को न्यायालय की शरण लेनी पड़ेगी।
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