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भीण्डर में बिना रेरा रजिस्ट्रेशन कॉलोनी काट बेच रहे हैं प्लॉट और घर!

रेरा रजिस्ट्रड कॉलोनी में ही खरीदें प्लॉट, वरना हो सकता हैं धोखा

सरकार ने पालिकाओं को दिये आदेश बिना रेरा रजिस्ट्रेशन नहीं जारी करें पट्टे

Bhinder@VatanjayMedia

राजस्थान के विभिन्न नगरीय क्षेत्रोें में अब भी रियल एस्टेट रेगूलेटरी अथॉरिटी यानि रेरा में रजिस्ट्रेशन कराए बिना आवास और भू-खंडों की बिक्री की जा रही है। जबकि ये नियम विरूद्ध हैं और बिना रेरा रजिस्ट्रेशन कॉलोनी में प्लॉट या घर खरीदना सबसे बड़ा नुकसान साबित हो सकता है। ऐसा भीण्डर नगर पालिका क्षेत्र में जमकर हो रहा हैं, यहां इक्का-दुक्का कॉलोनी के अलावा सभी कॉलोनियों में बिना रेसा रजिस्ट्रेशन के प्लॉट और घर बेचे जा रहे है।

बिना रेरा रजिस्ट्रेशन वाली कॉलोनियों में बिल्डर और निजी डवलपर्स एजेंट को आगे करके आमजन को धोखे में रखकर प्लॉट और घर बेच रहे है। इस तरह की धोखाधड़ी से बचाने के लिए सरकार ने सभी नगरीय निकायों, विकास प्राधिकरणों और नगर विकास न्यासों को सख्त निर्देश दिए हैं कि रेरा में रजिस्टर्ड किए बिना किसी भी योजना का पट्टा जारी नहीं करें। सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह निर्देश केवल निजी डवलपर या बिल्डरों तक सीमित नहीं है, बल्कि नगरीय निकायों की अपनी योजनाओं पर भी लागू रहेंगे। रेरा रजिस्ट्रेशन के बाद ही किसी भी परियोजना के आवेदन स्वीकार किए जाएं।

नियम और हकीकत

नियम – निजी खातेदार, विकासकर्ता, गृह निर्माण सहकारी समिति की प्लाटेड योजना के ले-आउट प्लान का अनुमोदन करने की बाद संबंधित निकाय सुनिश्चित करेंगे कि योजना का रेरा में रजिस्ट्रेशन के बाद ही पट्टे जारी करेंगे। हकीकत में अभी भी कुछ निकाय योजना का अनुमोदन करके पट्टे जारी कर रहे है।

नियम – एकल पट्टा मामलों में बिना रजिस्ट्रेशन के पट्टा जारी किया जा सकता है, लेकिन यह शर्त लगाना जरूरी है कि विकासकर्ता, सोसायटी उस जमीन पर भू-खंड, अपार्टमेंट या भवन का बेचान रजिस्ट्रेशन के बाद ही कर सकेगा। जबकि हकीकत में कई छोटे निकायों में इस शर्त की पालना भी नहीं हो रही। अथॉरिटी भरतपुर, पाली, बीकानेर जैसे शहरों में जांच कर रही है।

पांच लाख जुर्माना और सजा का प्रावधान

रेरा नियमों के तहत बिल्डर, डवलपर और रियल एस्टेट एजेंट सभी के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। इसके बिना किसी भी तरह की जमीन, प्लॉट या फ्लैट की बिक्री गैरकानूनी मानी जाएगी। नियमों की अवहेलना करने पर शुरुआत में 5 लाख रुपए तक का जुर्माना और आगे चलकर सजा का प्रावधान है।

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