असली कोरोना योद्धा – पहले खुद हुए संक्रमित, फिर सैकड़ों मरीजों को कोरोना से जीताई जंग

केस 01 – ऑक्सीजन 80, डॉ. आमेटा ने दिया जज्बा आज स्वस्थ

भीण्डर के गोवर्द्धनलाल भोई, पूर्व पालिकाध्यक्ष व पार्षद 4-5 दिन बीमार रहने के बाद 13 मई को सुबह अचानक घबराहट होने लगी। ऑक्सीजन लेवल जांचा तो 80 पर था। तुरन्त भीण्डर चिकित्सालय पहुंचे। वहां डॉ. राजीव आमेटा ने जांच करके तुरन्त ऑक्सीजन बेड पर भर्ती किया। जिससे 2 घंटे में स्थिति सामान्य हुई। इसके बाद सीटी स्केन करवाया, जिसमें फेंफड़ें 52 प्रतिशत संक्रमित हो चूके है। रिपोर्ट देखने के बाद डॉ. आमेटा ने भोई का हौंसला बढ़ाते हुए कहां कि दवाईयों के साथ-साथ खुद को कोरोना से जीतने का जज्बा रखना है। इसके बाद 4 दिन में भोई भीण्डर हॉस्पिटल में भर्ती रहकर स्वस्थ होकर घर लौटे। भोई ने कहा कि डॉ. राजीव आमेटा ने नई जिन्दगी दी हैं, उनका जिन्दगीभर ऋणी रहूंगा। संकल्प लिया कि प्रकृति को सुन्दर बनाने के लिए 11 पौधे लगाकर उनको संरक्षित करेंगे।

केस 02 – परिवार की जिम्मेदारी, एक्सरे में दिखा संक्रमण, स्वस्थ होकर लौटे घर

भीण्डर के कालिका माता रोड निवासी कमलेश प्रजापत उम्र 35 वर्ष। पिता की दो माह पहले बीमारी से मौत हो गई। परिवार की जिम्मेदारी कमलेश के कंधों पर और कोरोना से संक्रमित हो गये। रिपोर्ट में नेगेटिव आएं तो एक्सरे करवाया, जिसमें फेफड़ें संक्रमित देखकर डॉ. राजीव आमेटा ने तुरन्त भर्ती किया। ऑक्सीजन लेवल 85 के करीब पहुंच चूका था। डॉ. आमेटा दिन में तीन बार वार्ड में स्थिति का जायजा लेने के साथ भर्ती मरीजों का हौंसला बढ़ाते। इस जज्बें से 5 दिन में स्वस्थ होकर घर लौटा। डॉ. राजीव आमेटा ने धरती के भगवान का प्रयाय साबित करते हुए मुझे नई जिन्दगी दी है।

असली कोरोना योद्धा – डॉ. राजीव आमेटा, एमडी फिजीशियन

भीण्डर हॉस्पिटल में पिछले 5 वर्ष से एमडी फिजीशियन पोस्ट पर दे रहे हैं सेवाएं

भीण्डर @ Vatanjay Media

भीण्डर हॉस्पिटल में एमडी फिजीशियन पद पर पिछले पांच वर्ष से कार्यरत्त डॉ. राजीव आमेटा पिछले एक वर्ष से कोरोना माहमारी में मरीजों की सेवा कर रहे है। लेकिन सबसे पहले खुद डॉ. आमेटा कोरोना का सामना करते हुए जंग जीती। इसके बाद कोरोना से लड़ने की रणनीति बनाकर एक वर्ष में पहली व दूसरी लहर में सैकड़ों कोरोना मरीजों को स्वस्थ कर चूके है। इनके जज्बें से जिन मरीजों का ऑक्सीजन लेवल 60-70 तक पहुंच गया, उनको भी स्वस्थ करके घर भेजा है। वहीं सैकड़ों होम आइसोलेशन वाले मरीजों को मोबाइल पर परामर्श देकर स्वस्थ किया।

संक्रमित होकर कोरोना से लड़ने का पैदा हुआ जज्बा

डॉ. राजीव आमेटा ने बताया कि पिछले वर्ष कोरोना शुरू होने पर पता भी नहीं था कि यह बीमारी कैसी हैं और इसका इलाज किन दवाओं से होगा। जिससे सभी के मन में डर था। फिर भी आउटडोर शुरू करके मरीजों को उपचार शुरू किया। इस दौरान कोरोना की पहली लहर के दौरान सितम्बर माह में कोरोना से संक्रमित हो गया। इस पर अपने घर में एक कमरे में ऑइसोलेट होकर दिल्ली व अमेरिका में चिकित्सक दोस्तों से कोरोना से लड़ने के बारे में जानकारी ली और स्वयं का इलाज किया। जिससे वह स्वस्थ होकर पुन: हॉस्पिटल लौटे। जिसके बाद कोरोना से डरने के बजाएं उससे लड़ने का जज्बा लेकर पहली और दूसरी लहर में सैकड़ों मरीजों को स्वस्थ कर चूके है।

एलोपैथिक-योगा-मोटिवेशन से मरीज हुए स्वस्थ

डॉ. राजीव आमेटा ने बताया कि मरीजों को दवाईयों के साथ-साथ योगा और मोटिवेशन से ठीक करने में काफी फायदा मिला। दूसरी लहर में मरीजों को दवाईयों के साथ स्वस्थ होने का जज्बा पूरा चिकित्सकी स्टाफ देता था। जिसमें वार्ड में काम करने वाले नर्सिंगकर्मी हो या चिकित्सक। वहीं कोरोना वार्ड में भर्ती रहने वाले मरीजों को सुबह उद्यान में योगा भी करवाया जाता था, जिससे ऑक्सीजन लेवल में खासा लाभ मिला। मरीजों का हौंसला बढ़ाने के लिए दिन में तीन बार वार्ड में जाकर सभी मरीजों से मुलाकात करता था।

सभी के सहयोग से मिली ऐसी सफलता

भीण्डर हॉस्पिटल में कोरोना का इलाज करवाने के लिए आसपास क्षेत्र के अलावा चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़ आदि क्षेत्र से भी मरीज भीण्डर हॉस्पिटल में आने लगे। मरीजों की बढ़ती तादाद को देखते हुए नगरवासी भी सहयोग करने के लिए आगे बढ़े और भीण्डर क्लब ने पूरे एक माह में ऑक्सीजन की कमी नहीं आने दी तो वहीं याराना गु्रप ने मरीजों के भोजन की व्यवस्था की। लोगों ने आर्थिक सहायता से चिकित्सकी उपकरण उपलब्ध करवाएं। जिससे भीण्डर में मरीजों की सहमति से 60-70 ऑक्सीजन लेवल वाले मरीजों को भर्ती करके स्वस्थ करके घर भेजा। वार्ड में नर्सिंगकर्मियों के साथ नर्सिंगछात्रों ने भी पूर्ण सहयोग दिया।

गुडगांव के डॉक्टर दंपति को भी किया स्वस्थ

डॉ. राजीव आमेटा ने बताया कि भीण्डर हॉस्पिटल के अलावा बाहर से भी मोबाइल के माध्यम से परामर्श देने के लिए तैयार रहे। उनके दोस्त के मिलने वाले गुड़गांव में कार्यरत्त डॉक्टर दंपति कोरोना से संक्रमित हो गये। वह दोनों होम आइसोलेट थे, उन्होंने मोबाइल पर सम्पर्क करके कोरोना से ठीक होने की दवाईयोंं की जानकारी ली, मैंने वहीं दवाईयां बताई जिनसे मैं अपने हॉस्पिटल में आ रहे मरीजों को बता रहा था। जिससे वह भी एक सप्ताह में स्वस्थ हो गये।

 

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