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पहली बार मनाया राल महोत्सव, अग्नि गुबार से चमक उठा राजमहल

भीण्डर राजमहल के श्री गोवर्द्धननाथ जी मन्दिर में हुआ आयोजन

Bhinder@VatanjayMedia

भीण्डर राजमहल में स्थित प्रसिद्ध श्री गोवर्द्धननाथ जी मन्दिर में पहली बार फाल्गुनी बीज के अवसर पर मंगलवार को राल महोत्सव का आयोजन किया गया। राजमहल मन्दिर परिसर में मंगलवार शाम 7 बजे से शुरू हुए राल महोत्सव में नाथद्वारा से पधारे त्रिआगम आचार्य पण्डित विकास आमेटा के सानिध्य में ठाकुरजी की भीण्डर राजमहल के महाराज कुंवर प्रणवीर सिंह भीण्डर व ज्योति कुंवर भीण्डर ने पूजा अर्चना की। इसके बाद भगवान को फुलों से फाग खेलाया गया।

इस दौरान भीण्डर सहित आसपास क्षेत्र से सैकड़ों श्रद्धालु भाग लेने पहुंचे। श्री गोवर्द्धननाथ जी मन्दिर के पूजारी माधवलाल मंदावत ने बताया कि मन्दिर में पहली बार आयोजित किये गये राल महोत्सव को मनाने के पीछे मान्यता ये हैं कि द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण ने दावानल से पशु-पक्षियों और बृजवासियों को बचाने के लिए दावानल का पान किया था। वहीं ऐसा महोत्सव राजसमंद के प्रसिद्ध द्वारिकाधीश मन्दिर में पिछले कई वर्षों से मनाया जाता आ रहा है।

अग्नि के गुबार से माहौल हुआ रोशनीमय

राल महोत्सव में संध्या आरती के बाद ठाकुरजी को फाग खेलाया गया, इसके साथ ही पण्डित यश मंदावत सहित उनकी टीम द्वारा रसिया गीत गाएं गये। इसके बाद राल पूजन व गोवर्द्धन चौक में अग्नि की मशाल जलाई गई। इसके बाद पण्डित यश मंदावत व त्रिआगम आचार्य पण्डित विकास आमेटा ने अग्नि मशाल पर राल डालकर अग्नि के गुबार उठाने की परंपरा निभाई। वातावरण में अग्नि गुबार से फैले धुंए से श्रद्धालुओं व आसपास क्षेत्र के लोगों ने लाभ उठाया।

मशाल में विभिन्न प्रकार की औषधी मिलाई जाने से राल के डालकर उठने वाले आग के गुबार से वातावरण शुद्ध होता है। जिससे श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य लाभ मिलता है। इस पंरपरा के साथ-साथ रोमांच के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए हितकारी होता है। पहली बार आयोजित किये गये राल महोत्सव में नाथद्वारा से त्रिआगम आचार्य पण्डित विकास आमेटा, भीण्डर राज परिवार के महाराज कुंवर प्रणवीरसिंह भीण्डर, ज्योति कुंवर भीण्डर, मन्दिर के पण्डित गोपाल, बसंतीलाल, यश, दिक्षांत, यग्येश आदि पूजारी उपस्थित रहे।

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