सावन के अंतिम सोमवार को ऐतिहासिक आयोजन, श्रद्धालुओं की उमड़ी अपार भीड़
Bhinder@VatanjayMedia
श्रावण मास के अंतिम सोमवार को भीण्डर का प्राचीन और प्रतिष्ठित भीण्डेश्वर महादेव मंदिर महाकालेश्वर धाम की अनुभूति का केंद्र बन गया। मंदिर में महाकाल की तर्ज पर हुई भस्म आरती के दिव्य दर्शन हेतु क्षेत्रभर से श्रद्धालु उमड़ पड़े। भक्ति, आस्था और शिव प्रेम से सराबोर इस आयोजन ने पूरे नगर को शिवमय बना दिया।
यह विशेष आयोजन महाकाल भक्त मंडल के तत्वावधान में विगत 6 वर्षों से प्रतिवर्ष सावन के अंतिम सोमवार को संपन्न हो रहा है। परंपरागत आंगी शिव श्रृंगार के अंतर्गत भगवान भीण्डेश्वर महादेव को महाकाल का रूप दिया गया। इसके पश्चात उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की भांति भस्म आरती आयोजित की गई, जिसमें शिवभक्तों ने अलौकिक भाव में डूबकर दर्शन लाभ लिया।
विशेष व्यवस्थाएं बनीं आकर्षण का केंद्र
भक्तों की संख्या को देखते हुए इस वर्ष विशाल स्क्रीन की व्यवस्था की गई, जिससे मंदिर परिसर के बाहर उपस्थित श्रद्धालु भी आरती के लाइव दर्शन कर सकें। यह तकनीकी सुविधा सभी के लिए दर्शन सहज और विशेष अनुभव का कारण बनी। महाकाल भक्त मंडल के समर्पित सदस्यों ने पूरे आयोजन की व्यवस्था संभाली। शिवलिंग का श्रृंगार, आरती की तैयारी, दर्शन व्यवस्था और प्रसाद वितरण सभी कार्यों में उन्होंने पूरी श्रद्धा और सेवा भावना से भाग लिया। आरती के बाद श्रद्धालुओं को भोग प्रसाद वितरित किया गया।
भक्ति भाव में डूबा नगर
श्रद्धालुओं से लेकर युवाओं तक, हर वर्ग ने इस आयोजन में उत्साहपूर्वक भाग लिया। मंदिर के प्रांगण में हर हर महादेव और जय महाकाल के जयघोष गूंजते रहे। नगर के श्रद्धालुओं ने इसे भीण्डर की महाशिवरात्रि कहा और इसे भावनात्मक रूप से अपने से जोड़ा। आरती में सम्मिलित एक भक्त ने कहा कि भीण्डेश्वर महादेव का यह रूप देखने से ऐसा लगा मानो स्वयं उज्जैन के महाकाल के दर्शन दे रहे है। इस आयोजन ने हमारी आत्मा को सच्चे अर्थों में छू लिया।
ADVT
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