भद्रा अवधि रात्रि 10.27 बजे तक, होलिका दहन मुर्हुत रात्रि 11.15 से 12.27
Bhinder@VatanjayMedia
होली हिन्दू रीति रिवाज में महत्वपूर्ण त्यौहार होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलिका दहन की अग्नि प्रज्वलित करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी प्रकार के नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाते है। होली दहन 24 मार्च रविवार रात 11.15 बजे होगा। क्योंकि इस दिन भद्राकाल होने से इस अवधि के दौरान कोई शुभकार्य नहीं होते।
होलिका दहन शुभ मुर्हुत
वैदिक पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च सुबह 9.22 बजे से शुरू होगी और समापन 25 मार्च दोपहर 12.29 पर होगा। इस दौरान भद्रा अवधि रहेगी, जो सुबह 9.24 बजे से रात्रि 10.27 तक रहेगी। इस दौरान होलिका दहन नहीं होगा, ना ही कोई शुभ कार्य होगा। ऐसे में होलिका दहन भद्रा अवधि समाप्त होने के बाद रात्रि 11.15 से रात्रि 12.27 के बीच होगा।
भद्राकाल में क्यों नहीं होता है होलिका दहन
हिंदू धर्म में अग्नि के महत्व को विस्तार से बताया गया है, उन्हें प्रत्यक्ष देवता के रूप में पूजा भी जाता है। होलिका दहन के दौरान प्रज्वलित अग्नि में सभी नकारात्मक शक्तियों की आहुति दी जाती है और सभी ओर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। लेकिन भद्रा को अशुभ समय में गिना जाता है. इस दौरान नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव अधिक होता है, जिस वजह से इस अवधि में होलिका दहन के साथ-साथ अन्य मांगलिक कार्यों को न करने की सलाह दी जाती है। प्रत्येक वर्ष भद्रा रहित मुहूर्त ही होलिका दहन के लिए उपयुक्त माना जाता है।
भीण्डर में यहां-यहां होंगे होलिका दहन
भीण्डर के सूरजपोल चौराहे पर सनातन धर्मोत्सव सेवा समिति के तत्वावधान में रात्रि 11.15 बजे होलिका दहन होगा। इस दौरान वल्लभनगर विधायक उदयलाल डांगी मुख्य अतिथि होंगे। इसके अलावा मुरलीधर गली, मोचीवाड़ा, बाहर का शहर, साठड़िया बाजार स्थित होलीथड़ा सहित विभिन्न स्थानों पर होलिका दहन होगा।
ADVT
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